उत्तराखंड

उत्तराखंड में हिंसा की घटनाओं के मद्देनजर 3 महीने के लिए बढ़ाई गई रासुका, इन जिलों में तनाव की स्थिति

देहरादून। उत्तराखंड में हिंसक घटनाओं को रोकने के लिए शासन ने जिलाधिकारियों को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लगाने के अधिकार की समयावधि को तीन माह के लिए और बढ़ा दिया है। जो व्यक्ति या समूह माहौल खराब करने और हिंसक घटनाओं को बढ़ावा देने का काम करेगा उस पर जिलाधिकारी राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत कार्रवाई कर सकते हैं। गृह विभाग ने इस संबंध में अधिसूचना जारी की है।

सरकार के इस कदम को रुड़की में एक चर्च में हुई हिंसा, ऊर्जा निगम कर्मचारियों की हड़ताल और आंदोलनों में हिंसक घटनाओं की आशंका से जोड़कर देखा जा रहा है। हालांकि अपर मुख्य सचिव (गृह) आनंद बर्द्धन का कहना है कि कानून पहले से लागू है और समय समय पर तीन-तीन माह की अवधि में जिलाधिकारी को रासुका के तहत प्राप्त शक्तियों का प्रयोग करने का अधिकार दिया जाता है। अपर सचिव गृह रिधिम अग्रवाल के मुताबिक, सितंबर में तीन माह की समयसीमा समाप्त हो गई थी, जिसे एक अक्तूबर 31 दिसंबर तक बढ़ाया गया है।

रासुका में अभी तक कोई मामला नहीं

अपर सचिव गृह रिधिम अग्रवाल के मुताबिक, राज्य में रासुका के तहत अभी तक किसी व्यक्ति या समूह के खिलाफ कार्रवाई का कोई मामला सामने नहीं आया है।

सरकार ने जताई हिंसक घटनाओं की संभावना

गृह विभाग की जारी अधिसूचना में कहा गया है कि कुछ जिलों में हिंसा की घटनाएं हुई हैं और उनकी प्रतिक्रिया में राज्य के अन्य भागों में भी ऐसी घटनाएं हुई हैं। राज्य के अन्य भागों में भी ऐसी घटनाएं होने की संभावना है।

राज्य के तीन जिलों में तनाव की स्थिति

वर्तमान में राज्य के तीन जिलों में कानून व्यवस्था को लेकर तनाव की स्थिति है। हरिद्वार जिले के रुड़की में एक चर्च पर हमले और तोड़फोड़ की घटना से तनाव है। वहीं लखीमपुर खीरी में हिंसा के विरोध में ऊधमसिंह नगर के यूपी के बोर्डर वाले इलाकों में तनाव की स्थिति है। देहरादून में ऊर्जा निगम के कर्मचारी हड़ताल पर हैं और सरकार और हड़ताली कर्मचारियों के बीच टकराव के हालात बन रहे हैं। इसके अलावा सरकार ने पिछले दिनों एक आदेश जारी किया था, जिसमें राज्य में सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ने की आशंका जाहिर की गई थी।

अपर सचिव गृह रिधिम अग्रवाल राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत राज्य सरकार को यह अधिकार है कि वह कानून के प्रावधान लागू करने की शक्ति दे सके। जिलाधिकारियों को अधिकार देने की समयसीमा सितंबर में समाप्त हो गई थी, जिसे अक्तूबर से दिसंबर तक बढ़ाया गया है। सभी डीएम को पावर दी गई है कि वे अपने-अपने कार्यक्षेत्र में रासुका के तहत कार्रवाई कर सकें।

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